"निशा अपनी बहन पूजा के कमरे में गुमसुम बैठी हुई थी और अपने ही ख्यालों में खोई हुई थी। निशा अपनी बहन के बेटे को थपथपा कर सुला रही थी, जो पहले से ही गहरी नींद में सो रहा था। अभी कुछ महीने पहले ही निशा और उसके परिवार की जिंदगी में एक ऐसा तूफान आया था, जिससे उनकी दुनिया ही उजड़ गई थी। आज उसी तूफान की वजह से निशा ने एक ऐसा कदम उठा लिया था, जिससे उसने खुद अपनी जिंदगी बर्बाद कर ली थी। आज निशा ने अपने लिए एक ऐसा हमसफर चुना था, जिससे वह केवल नफरत करती थी।
निशा अपनी बहन के बेटे के पास लेटी हुई थी कि तभी अचानक कमरे का दरवाजा खुला और निशा का पति राजीव कमरे में दाखिल हुआ। राजीव को देखते ही निशा की आंखों में नफरत के अंगारे बरसने लगे। जबकि राजीव ने आते ही नर्म शब्दों में कहा, "निशा, मेरे लिए नाश्ता लगा दो, मुझे ऑफिस के लिए देर हो रही है।" निशा, राजीव के इन नर्म शब्दों को भी हुक्म समझती थी और उसे राजीव का यह नरम रवैया भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था।
निशा गुस्से से उठकर बिस्तर पर बैठ गई और कहने लगी, "मैं तुम्हारे इस घर की कोई नौकरानी नहीं हूं, जो हर वक्त तुम्हारे हुक्म को सर आंखों पर चढ़ाकर मानती फिरूं। एक बात कान खोलकर सुन लो कि मैंने यह शादी सिर्फ और सिर्फ अपनी बहन के बेटे के लिए की है। और अगर तुम्हें ऐसा लगता है कि तुम पति बनकर मुझ पर हुक्म चलाओगे और मैं तुम्हारी हर बात मान लूंगी, तो यह तुम्हारी सबसे बड़ी गलती है। मुझे कभी भी पूजा समझने की कोशिश मत करना, क्योंकि मेरी बहन बहुत मासूम थी, जो तुम्हारे सारे अत्याचार चुपचाप सहती रही, लेकिन मैं पूजा नहीं, निशा हूं। और मैं तुम जैसे इंसान को सबक सिखाना अच्छे से जानती हूं।"
निशा ने यह सब राजीव की आंखों में गुस्से से देखते हुए कहा, जबकि राजीव ने एक बार फिर नर्म शब्दों में कहा, "मुझे सब पता है, निशा, कि तुमने यह शादी क्यों की है, लेकिन फिलहाल मुझे ऑफिस जाने में देर हो रही है। तो तुम मेरे लिए नाश्ता लगा दो, बाकी शिकायतें तुम शाम को कर लेना।"
निशा का गुस्सा और उसके दिल की कड़वाहट राजीव के लिए कोई मायने नहीं रखती थी। राजीव हमेशा निशा के गुस्से को नजरअंदाज कर, उससे प्यार से बात करता था और बदले में बस यही उम्मीद करता था कि निशा भी उससे प्यार से बात करे और उसके काम दिल से करे। निशा ने राजीव की बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और दूसरी तरफ मुंह फेरकर ऐसे लेट गई, जैसे वह जताना चाहती हो कि उसे राजीव से बात करना भी पसंद नहीं। राजीव ने एक बार फिर से निशा का नाम पुकारा और उसे नाश्ता देने के लिए कहा, लेकिन निशा ने उसकी पुकार को नजरअंदाज कर दिया और फिर से अपनी बहन के बेटे को थपथपाने लगी, जो पहले से ही गहरी नींद में सो रहा था।"
"राजीव काफी देर तक निशा को पुकारता रहा, लेकिन जब निशा ने उसकी बातों का कोई जवाब नहीं दिया, तो वह नाश्ता किए बिना ही ऑफिस चला गया। राजीव के जाते ही निशा ने गुस्से से अपना सिर झटक दिया, क्योंकि वह राजीव से नफरत के अलावा कोई और रिश्ता नहीं रखना चाहती थी। निशा इस घर में सिर्फ अपनी बहन के बेटे के लिए आई थी और उसने यह शादी राजीव से बदला लेने के इरादे से की थी। निशा चाहती थी कि इस घर में जो दुख, दर्द और तकलीफ उसकी बहन पूजा ने झेले थे, वही तकलीफें अब राजीव को भी झेलनी पड़ें।
उसकी बहन पूजा स्वभाव से बहुत ही भोली थी, जबकि राजीव तो देखने में भी शातिर नजर आता था। लेकिन अगर राजीव शेर था, तो निशा भी उससे बढ़कर थी और वह बखूबी जानती थी कि राजीव जैसे इंसान को कैसे ठीक करना है। राजीव और निशा की शादी को काफी दिन बीत चुके थे, और आज तक निशा ने राजीव को खुद के करीब आने नहीं दिया था। हालाँकि, राजीव एक मर्द था और ऊपर से वह निशा का पति भी था, तो जाहिर सी बात है कि एक पति होने के नाते राजीव के मन में भी यह इच्छा जरूर हुई होगी कि वह निशा को अपनी पत्नी होने के सारे हक दे और बदले में खुद भी अपने पति होने के सारे हक पा सके। लेकिन निशा ने शादी के दिन ही राजीव को सख्त लहजे में कह दिया था कि वह उसके करीब आने की कोशिश भी न करे, और हैरानी की बात यह थी कि राजीव ने निशा की यह बात मान भी ली थी। शादी के बाद राजीव ने निशा को हाथ तक नहीं लगाया था। हां, वह बस निशा को अपना काम करने के लिए जरूर कहता था, लेकिन निशा बिना किसी हिचकिचाहट के उसका काम करने से इंकार कर देती थी।
राजीव दिखने में इतना हैंडसम और खूबसूरत नौजवान था कि उसे देखकर कोई यह नहीं कह सकता था कि वह एक बच्चे का बाप है। राजीव किसी का भी सपना हो सकता था, और अगर वह पूजा का पति न होता, तो शायद निशा के लिए राजीव की पत्नी बनना बहुत सौभाग्य की बात होती, और निशा भी इस रिश्ते को पूरे दिल से निभाती। लेकिन इस वक्त उनके रिश्ते में सबसे बड़ा कांटा यही था कि राजीव निशा की बहन पूजा का पति था—वह पति जिसने पूजा की जान ले ली थी। यही सब सोचते-सोचते निशा उन दिनों में खो गई जब उसकी बहन पूजा के लिए राजीव का रिश्ता आया था।
उस दिन निशा के घर में खुशियों का माहौल था और ढेर सारे पकवान बने हुए थे, क्योंकि राजीव का परिवार पूजा को देखने आने वाला था। पूजा के चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान थी और वह अपनी खुशी छुपा नहीं पा रही थी। पूजा बहुत ही शांत स्वभाव की लड़की थी और उसकी खुशी देखकर घरवाले भी बहुत खुश थे। सबसे ज्यादा खुशी तो निशा को हो रही थी, क्योंकि उसने कभी अपनी बहन को इतना खुश नहीं देखा था। थोड़ी ही देर में राजीव के घर वाले आ गए और आते ही पूजा को इधर-उधर दौड़ाने लगे—कभी पानी मांगते, तो कभी चाय और नाश्ता। राजीव के घरवालों की इन हरकतों से पूजा के घर वाले हैरान थे, लेकिन उन्हें तो अपनी बेटी की शादी करनी थी, इसलिए वे चुपचाप तमाशा देखते रहे।
कुछ देर बाद पूजा की सास ने सवाल-जवाब शुरू कर दिए, जैसे "तुम्हें खाना बनाना आता है या नहीं?" "कपड़े तो हाथ से धो लेती हो ना? क्योंकि हमारे घर में वाशिंग मशीन नहीं है।" और फिर जो कुछ भी पूजा की सास ने पूछा, वह सुनकर पूजा के घर वाले दंग रह गए। उसकी सास ने कहा, "कहीं तुम्हारा पहले से कोई चक्कर तो नहीं है? पता चला कि शादी के बाद भाग गई, तो तुम्हारे पापा की और हमारी इज्जत भी नीलाम हो जाएगी।" पूजा की सास की बातें सुनकर निशा गुस्से से लाल हो गई, क्योंकि उसे अपनी बहन के लिए बहुत बुरा लग रहा था। पूजा भी इन बातों से बहुत डर गई थी। पहले वह खुश थी, लेकिन अब उसके चेहरे पर केवल डर था। डर के मारे पूजा कुछ बोल नहीं पा रही थी, तो उसकी माँ ही सारे जवाब दे रही थी। तब पूजा की सास ने कहा, "बहन जी, सवाल तो हम अपनी होने वाली बहू से कर रहे हैं, लेकिन सारे जवाब आपकी तरफ से आ रहे हैं। तो क्या हम यह समझें कि आपकी बेटी को यह रिश्ता मंजूर नहीं है, क्योंकि वह तो अपना मुंह ही नहीं खोल रही है।"
निशा को अपनी होने वाली सास पर बहुत गुस्सा आ रहा था, लेकिन उसने खुद को काबू में रखा क्योंकि उसने बचपन से सुन रखा था कि सास तो ऐसी ही होती हैं। पूजा की सास काफी देर तक सवाल पूछती रही, और फिर वे लोग रात का खाना खाकर चले गए। निशा ने सोचा था कि अब उसकी बहन बहुत खुश होगी, क्योंकि उसकी शादी तय हो गई थी, लेकिन हुआ इसके उलट। पूजा बहुत उदास रहने लगी थी। शायद उसे अपने ससुराल वाले पसंद नहीं थे। पूजा का अचानक से उदास हो जाना सबको हैरान कर रहा था। कई बार जब निशा ने इस बारे में पूजा से पूछा, तो उसने कहा, "ऐसी कोई बात नहीं है छोटी, बस अब मुझे यह घर छोड़कर जाना होगा, इसलिए मैं थोड़ी उदास हूं, और कोई वजह नहीं है।" तब निशा ने अपनी बहन को समझाया, "अरे मेरी प्यारी बहन, इसमें उदास होने वाली कौन सी बात है? तुम्हें तो उल्टा खुश होना चाहिए कि तुम्हें राजीव जीजू जैसा अच्छा पति मिल रहा है।"
"राजीव जीजू इतने अच्छे इंसान थे कि निशा को लगता था उनके जैसा इस दुनिया में और कोई नहीं होगा। निशा अपने जीजू से बहुत ज्यादा प्रभावित थी, और जब भी राजीव उनके घर आते, तो निशा हर वक्त उनके साथ रहती और उनसे बातें करती रहती थी। कई बार तो दोनों के बीच मोबाइल पर ऐसी बहसें हो जातीं कि मानो वे जीजा-साली नहीं, बल्कि पति-पत्नी हों। कभी-कभी निशा मजाक में अपनी बहन से कहती, "दीदी, अगर तुम्हें राजीव जीजू पसंद नहीं हैं, तो कोई बात नहीं, तुम उनका रिश्ता मना कर दो और मम्मी-पापा से मेरी शादी राजीव जीजू से करवा दो। मैं तो राजीव जीजू से शादी करने के लिए तैयार हूं। सच बताऊं, मुझे तो राजीव जीजू बहुत पसंद हैं। वे कितने हैंडसम हैं ना, दीदी? और जब वे हंसते हैं, तो उनके गाल पर पड़ने वाला डिंपल तो मुझे पागल ही कर देता है।"
निशा यह बात मजाक में कहती थी और पूजा इस पर जोर-जोर से हंसती थी, लेकिन निशा यह नहीं जानती थी कि एक दिन यह मजाक सच हो जाएगा। राजीव भी बाकी ससुराल वालों जैसा ही निकलेगा, और अंततः वही होगा जो निशा ने मजाक में कहा था—निशा सच में राजीव की पत्नी बन जाएगी।
पूजा और राजीव की शादी बहुत धूमधाम से हुई थी और पूजा अपने घर से विदा होकर राजीव के साथ ससुराल आ गई थी। लेकिन शादी के कुछ समय बाद ही पूजा के परिवार को पता चला कि पूजा को ससुराल वाले मायके जाने की इजाजत नहीं देते थे। पूजा की शादी को तीन महीने हो गए थे, लेकिन वह एक बार भी अपने मायके नहीं आई थी, जिससे निशा बहुत दुखी हो गई थी। पूजा सिर्फ निशा की बड़ी बहन ही नहीं, बल्कि उसकी सबसे अच्छी दोस्त भी थी। जब भी निशा को कोई परेशानी होती, वह सबसे पहले अपनी दीदी से बात करती थी। लेकिन जब से पूजा ससुराल चली गई थी, दोनों बहनों के बीच दूरी बढ़ गई थी।
पूजा की माँ को भी इस बात का बहुत अफसोस था कि उन्होंने अपनी प्यारी बेटी की शादी ऐसी जगह कर दी थी, जहां अब वे उसका चेहरा देखने के लिए भी तरस रहे थे। एक दिन निशा और उसके घरवालों ने तय किया कि वे सब मिलकर पूजा से मिलने उसके ससुराल जाएंगे और उसे सरप्राइज देंगे। निशा, उसकी माँ और पापा पूजा के घर पहुंचे, लेकिन वहां जो नजारा देखा, वह देखकर सब दंग रह गए।
राजीव, जिसने आज तक पूजा को कभी कुछ भी नहीं कहा था, आज उस पर इतनी जोर से चिल्ला रहा था कि उसकी आवाज पूरे मोहल्ले में सुनाई दे रही थी। वह पूजा से सवाल-जवाब कर रहा था और पूजा किसी गुनहगार की तरह सिर झुकाए खड़ी थी, थर-थर कांप रही थी। इससे पहले कि पूजा के मम्मी-पापा राजीव से कुछ पूछ पाते, उसने पूजा के चेहरे पर जोरदार थप्पड़ मार दिया। यह देखकर वहां खड़े सभी लोग हैरान रह गए। पूजा के मम्मी-पापा तुरंत आगे बढ़कर पूजा के पास पहुंचे, और उन्हें देखकर पूजा के ससुराल वाले भी एकदम चौक गए।
पूजा के परिवार ने कभी सोचा भी नहीं था कि राजीव इस तरह पूजा पर हाथ उठा सकता है। पूजा अपने घर की सबसे बड़ी और सबसे लाडली बेटी थी, इसलिए वह सबके लिए बहुत खास थी। उसके मम्मी-पापा ने उसे बड़े नाजों से पाला था, बिल्कुल किसी नाजुक फूल की तरह उसकी देखभाल की थी। अपनी फूल-सी नाजुक बहन को पीटते हुए देखकर आज पहली बार निशा के मन में अपने जीजू के लिए नफरत पैदा हुई, वरना निशा तो अपने जीजू को लाखों में एक मानती थी।
निशा को इस बात की तसल्ली थी कि भले ही पूजा के ससुराल वाले बुरे हों, लेकिन उसका जीवनसाथी अच्छा है। पर आज जब राजीव की असलियत सबके सामने आई, तो उसे देखकर सभी हैरान रह गए।"
पूजा के मम्मी-पापा ने राजीव से मारपीट की वजह पूछी और उसे बहुत बुरा-भला कहा, लेकिन फिर वे पूजा को देखकर चुप हो गए। पूजा भी निशा से लिपटकर लगातार रो रही थी। निशा ने कई बार पूजा से पूछा, "दीदी, क्या हुआ है? अगर आप दोनों के बीच कोई परेशानी है, तो हमें बताओ। शायद हम इसका कोई हल निकाल सकें।" लेकिन न तो पूजा ने कुछ बताया और न ही राजीव ने कुछ कहा। अब तो पूजा के घर वालों के दिल में राजीव के लिए नफरत घर कर चुकी थी।
खैर, समय गुजरता रहा। पूजा के पापा ने राजीव को सख्ती से कहा, "महीने में एक बार पूजा को हमारे घर लेकर आना होगा, वरना मैं खुद ही आकर अपनी बेटी को ले जाऊंगा।" इस पर राजीव ने पूजा के पापा की तरफ एक नजर डाली, लेकिन चुप ही रहा। ऐसा लग रहा था जैसे राजीव कुछ कहना चाहता था, पर किसी कारणवश कह नहीं सका। पूजा के घरवालों ने भी ज्यादा जोर नहीं दिया, क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि बात आगे बढ़े और पूजा का घर बर्बाद हो जाए। वे किसी भी तरह का विवाद नहीं चाहते थे, जिससे पूजा का तलाक हो सकता था।
कुछ महीनों बाद पूजा ने सबको खुशखबरी सुनाई कि वह मां बनने वाली है। यह सुनकर निशा की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वह आसमान में उड़कर चीख-चीखकर अपनी खुशी जताना चाहती थी कि उसकी बहन मां बनने वाली है, और वह खुद मौसी बनने वाली है। पूजा और राजीव के घर में नन्हा मेहमान आने वाला था। इस खबर से दोनों ही परिवार बहुत खुश थे।
अगले ही दिन पूजा का परिवार उससे मिलने उसके घर पहुंचा, जहां राजीव ने बहुत ही सम्मानपूर्वक उनका स्वागत किया। राजीव के चेहरे पर खुशी झलक रही थी, लेकिन ऐसा लग रहा था कि वह दिल से खुश नहीं है। पूजा भी उदास लग रही थी। निशा ने कई बार पूजा से उसकी उदासी का कारण पूछा, लेकिन वह सिर्फ यही कहती रही कि उसकी तबीयत ठीक नहीं है। निशा को शक हो गया कि कुछ तो गड़बड़ है, क्योंकि पूजा की आंखें उसकी असली हालत बयां कर रही थीं।
पूजा के मम्मी-पापा ने भी उससे कई बार पूछा, लेकिन पूजा ने यही कहा कि सब कुछ ठीक है और उन्हें कोई गलतफहमी हो गई है। हालांकि, पूजा का परिवार इतना गैर नहीं था कि उन्हें कोई गलतफहमी हो जाती। समय इसी तरह गुजरता रहा और देखते ही देखते पूजा के नौ महीने पूरे हो गए। पूजा और राजीव का बच्चा इस दुनिया में आ गया। अपने पोते के आने की खुशी में पूजा की सास ने पूरे अस्पताल में मिठाइयां बांटीं। वह आज बहुत खुश नजर आ रही थी।
राजीव की मां को इतना खुश देखकर निशा ने भी अपने सारे गिले-शिकवे भुला दिए और खुशी से उन्हें गले लगा लिया। वरना, निशा को पूजा की सास एक आंख नहीं भाती थी। निशा ने जब राजीव की आंखों में आंसू देखे, तो उसे ऐसा लगा कि ये खुशी के आंसू हैं और अब सब कुछ ठीक हो गया है। लेकिन जब निशा ने अपनी बहन से मुलाकात की, तो उसकी सारी खुशी गायब हो गई, क्योंकि पूजा छिप-छिपकर रो रही थी। यह देखकर निशा का दिल तड़प उठा और उसने तुरंत पूजा को गले से लगा लिया।
निशा को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर पूजा क्यों रो रही है। उसने पूजा से कई बार पूछा, "दीदी, बताओ ना! आखिर तुम्हारी जिंदगी में क्या चल रहा है? क्या राजीव जीजू से कोई झगड़ा हुआ है? क्या उन्होंने फिर से तुम पर हाथ उठाया है?" निशा ने एक साथ कई सवाल पूछ लिए, लेकिन पूजा ने बस इतना कहा, "नहीं छोटी, ऐसी कोई बात नहीं है। मेरी तबीयत ठीक नहीं है।"
लेकिन निशा जानती थी कि कुछ तो गड़बड़ है, क्योंकि पूजा की आवाज लड़खड़ा रही थी। निशा को लगने लगा कि पूजा की इस हालत के लिए भी राजीव ही जिम्मेदार है। समय बीतता रहा, और डिलीवरी के शुरुआती दिनों में निशा पूजा के साथ रही, ताकि वह उसकी देखभाल कर सके। ऐसे समय में एक औरत का दर्द उसकी मां या बहन ही समझ सकती है—शायद उसका पति भी नहीं।
निशा तो राजीव को देखकर हैरान थी, क्योंकि वह पूजा का इस तरह से ख्याल रख रहा था कि जो भी उन्हें देखता, यही सोचता कि दोनों के बीच बहुत प्यार है। राजीव पूजा का हर काम अपने हाथों से करता था, और जब भी पूजा को कहीं जाना होता, वह उसे अपनी बाहों में उठा लेता था। राजीव की देखभाल देखकर निशा को लगने लगा था कि अब सब ठीक है।
लेकिन असलियत एक साल बाद सामने आई, जब पूजा की मौत की खबर परिवार तक पहुंची। इस खबर ने निशा को झकझोर कर रख दिया। जब निशा अपने परिवार के साथ पूजा के घर पहुंची, तो उसने देखा कि राजीव अपने बेटे ज्योत को गोद में लिए, सिर झुकाए बैठा था। निशा ने तुरंत ज्योत को गोद में उठा लिया, जो 'मम्मा मम्मा' पुकारते हुए बुरी तरह रो रहा था।
पूजा के पापा ने राजीव से पूछा, "राजीव, मेरी बेटी कहां है?" राजीव रोते हुए पूजा के पापा के गले लग गया और कहने लगा, "पापा, पूजा का बहुत बुरा एक्सीडेंट हो गया है, और उसकी लाश को पहचानना भी मुश्किल है। पता नहीं आज वह खुद ही सामान लेने क्यों निकल गई, वरना वह हमेशा मुझसे ही लाने को कहती थी। अभी उसे गए हुए आधा घंटा ही हुआ था कि अचानक अस्पताल से कॉल आया कि आपकी वाइफ का एक्सीडेंट हो गया है और पहचान के लिए आपको आना होगा। जब मैं वहां पहुंचा, तो देखा कि उसका चेहरा पहचान पाना भी मुश्किल था।"
कुछ देर बाद मामला शांत हो गया और पूजा की लाश भी घर आ चुकी थी। जैसा कि राजीव ने बताया था, पूजा का चेहरा वाकई पहचान में नहीं आ रहा था। पूजा का परिवार जोर-जोर से रो रहा था, और पूजा की मम्मी को संभालना मुश्किल हो गया था। आखिर, एक मां अपनी ही बेटी को अपनी आंखों के सामने इस हालत में कैसे देख सकती थी? जिस तरह से पूजा की मम्मी पूजा की लाश से लिपटकर रो रही थी और उसे पुकार रही थी, वहां मौजूद हर शख्स की आंखों में आंसू आ गए थे।
जब पूजा की अर्थी उठाने का वक्त आया, तो उसका नन्हा सा बेटा पूजा के आंचल को पकड़े हुए ऐसे रो रहा था, जैसे वह कहना चाहता हो, "मां, मुझे छोड़कर मत जाओ। मुझे तुम्हारी जरूरत है। मां, तुम्हारे बिना मुझे लोरी गाकर कौन सुलाएगा और खाना कौन खिलाएगा? मां, मत जाओ। मां, मुझे अकेला छोड़कर मत जाओ।" यह दृश्य इतना दर्दनाक था कि वहां मौजूद कोई भी खुद को रोने से रोक नहीं पाया। ऐसा लग रहा था जैसे हर शख्स खून के आंसू रो रहा हो।
निशा की हालत भी कुछ ऐसी ही थी। वह भी अपनी बहन को खुद से दूर जाने नहीं देना चाहती थी, लेकिन जाने वाले को कौन रोक सकता है? वह खुद तो चला जाता है, लेकिन अपने पीछे अपनों को रोता हुआ छोड़ जाता है। थोड़ी ही देर में पूजा को अंतिम विदाई दे दी गई और उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया।
पूजा के जाने के बाद, परिवार ने एक-दूसरे को संभाल लिया। ज्योत का ख्याल निशा रख रही थी। शायद ज्योत भी अब निशा की गोद को ही अपनी मां की गोद समझ बैठा था। निशा उसे अपने साथ घर ले आई थी। उस दिन के बाद निशा ने कभी भी यह जानने की कोशिश नहीं की कि उसका जीजा राजीव किस हालत में है, क्योंकि अब उसके दिल में राजीव के लिए सिर्फ नफरत थी। राजीव का नाम लेते ही निशा को अपनी बहन पूजा का रोता हुआ चेहरा और उसकी दर्द से भरी आंखें याद आ जाती थीं।
पूजा की शादी के बाद निशा ने कभी उसकी आंखों में वह खुशी नहीं देखी थी जो आमतौर पर एक लड़की की शादी के बाद होती है। पूजा हमेशा उदास ही रहती थी, जिससे निशा को लगता था कि उसकी मौत का जिम्मेदार राजीव ही है। शायद यही वजह थी कि निशा अपने सामने अपने जीजा का नाम सुनना भी पसंद नहीं करती थी।
निशा का अपनी मां से कई बार झगड़ा हो चुका था, क्योंकि निशा का परिवार आज भी राजीव को वही मान-सम्मान देता था जो पूजा की मौत से पहले दिया करता था। निशा ने अपनी मां से यहां तक कह दिया था, "मां, आप इस जल्लाद को इस घर में आने की इजाजत कैसे दे सकती हैं? इसी ने आपकी बेटी को मारा है।" निशा की इस बात पर उसकी मां उसे समझाने की कोशिश करती, "निशा बेटा, बिना सोचे-समझे इस तरह किसी पर इतना बड़ा इल्जाम लगाना ठीक नहीं है। मैं समझती हूं कि पूजा की मौत से तुम्हें बहुत दुख पहुंचा है, लेकिन पूजा की मौत प्राकृतिक तरीके से हुई थी, और इसमें राजीव का कोई हाथ नहीं था।"
लेकिन निशा अपनी मां की बात मानने के लिए तैयार नहीं थी। वह तो राजीव को ही पूजा की मौत का जिम्मेदार मानती थी। समय बीतता रहा, और पूजा की मौत को तीन महीने हो चुके थे।
एक दिन पूजा के ससुराल वाले उसके घर आए। निशा को लगा कि शायद वे लोग ज्योत से मिलने आए होंगे। निशा अपने कमरे में जाकर बैठ गई। वह उन लोगों का चेहरा भी नहीं देखना चाहती थी, क्योंकि वह उन्हें भी पूजा की मौत का दोषी मानती थी। कुछ ही देर में जब वे लोग चले गए, तब निशा अपने कमरे से बाहर आई और अपनी मां से पूछने लगी, "मां, अब ये लोग क्या लेने आए थे? जब तक मेरी बहन जिंदा थी..."
तब तक इन्होंने उसे चैन से जीने नहीं दिया, अब इन्हें हमसे और क्या चाहिए? निशा की मां चुपचाप उसकी बातें सुनती रही, लेकिन निशा को समझ नहीं आ रहा था कि आज उसकी मां इतनी खामोश क्यों है। निशा को लगा कि जरूर कुछ बहुत ही गंभीर बात है। बात का पता लगाने के लिए निशा अपनी मां के पास जाकर बैठी और कहने लगी, "मां, आज आप इतनी चुप क्यों हैं? आप साफ-साफ क्यों नहीं बतातीं कि ये लोग हमारे घर क्यों आए थे?"
निशा के जोर देने पर उसकी मां ने कहा, "निशा बेटा, वो लोग एक बहुत जरूरी काम से यहां आए थे, और मुझे भी उनकी बात से कोई ऐतराज नहीं है। अब तो सबसे ज्यादा जरूरी बात यह है कि तुम और तुम्हारे पापा की इस पर क्या राय है।"
अपनी मां की बातें सुनकर एक पल के लिए निशा हैरान रह गई, क्योंकि अब वह अपनी मां की बातों का मतलब समझ चुकी थी। लेकिन वह खुद से कोई निष्कर्ष नहीं निकालना चाहती थी, इसलिए धैर्यपूर्वक अपनी मां की बातें सुनने लगी। निशा की मां ने कहा, "देखो निशा, एक न एक दिन तो तुम्हें भी शादी करके इस घर को छोड़कर जाना ही पड़ेगा, और तुम जानती हो कि ज्योत अब तुम्हें ही अपनी मां समझने लगा है। और यह बात भी किसी से छिपी नहीं है कि तुम भी ज्योत से बहुत प्यार करती हो। इसलिए राजीव की मां का मानना है कि ज्योत के लिए तुमसे बढ़कर मां और कोई हो ही नहीं सकती। निशा बेटा, वे तुम्हें अपने घर की बहू बनाना चाहती हैं, और मुझे भी उनकी बातें सही लगती हैं।"
"तुम मानो या ना मानो, लेकिन राजीव एक अच्छा इंसान है। उसने तुम्हारी बहन को कभी कोई तकलीफ नहीं दी, बल्कि हर वक्त उसका ख्याल रखा। मैं भी राजीव की मां की बातों से सहमत हूं, और चाहती हूं कि तुम ज्योत की खातिर राजीव से शादी कर लो, ताकि हमारे ज्योत की जिंदगी में कभी कोई तकलीफ ना आए।"
अपनी मां की बातें सुनकर निशा गुस्से से लाल हो गई और कहने लगी, "मां, मुझे अगर ज्योत के लिए जिंदगी भर कुंवारी भी रहना पड़ा, तो मैं रह लूंगी। लेकिन मैं ऐसे इंसान से शादी कभी नहीं करूंगी, जो मेरी बहन की मौत का जिम्मेदार है।"
तब निशा की मां ने कहा, "निशा बेटा, यही तो तुम्हारी गलतफहमी है। जैसा तुम सोच रही हो, वैसा कुछ भी नहीं है। तुम बेवजह राजीव पर शक कर रही हो, जबकि उसका इसमें कोई कसूर नहीं है। राजीव ने जिस तरह से हमारी पूजा का ख्याल रखा, उतना ख्याल तो शायद पूजा ने भी उसका कभी नहीं रखा होगा। और तुम यह भी सोचो, अगर राजीव की शादी किसी और लड़की से हो गई, तो सौतेली मां के हाथों में हमारे ज्योत का क्या हाल होगा? उस मासूम की तो जिंदगी ही बर्बाद हो जाएगी। अगर तुम सच में ज्योत से प्यार करती हो, तो तुम्हें राजीव का हाथ थाम लेना चाहिए।"
अपनी मां की बातें सुनकर निशा कुछ देर के लिए चुप हो गई। उसे समझ आ गया था कि उसकी मां सही कह रही है। अगर राजीव ने दूसरी शादी कर ली, तो हो सकता है कि ज्योत की जिंदगी नर्क बन जाए। कुछ सोच-विचार के बाद निशा ने राजीव से शादी करने के लिए हां कर दी। लेकिन कोई यह नहीं जानता था कि निशा ने यह शादी सिर्फ और सिर्फ राजीव से बदला लेने के लिए की थी। निशा ने तय कर लिया था कि जिस तरह से राजीव और उसके परिवार ने पूजा को तकलीफ पहुंचाई, वह भी उन्हें उसी तरह तड़पाएगी। उस घर में जाने के बाद, जिस तरह से पूजा को दर्द मिला था, अब उन सभी को उस दर्द की भरपाई करनी होगी। निशा उन लोगों को भी बर्बाद करके ही दम लेगी।
निशा के मम्मी-पापा ने राजीव के घर फोन करके रिश्ते के लिए हां कर दी, और फिर बहुत सादगी से निशा और राजीव की शादी हो गई। निशा ने अपनी शादी को लेकर कई सपने देखे थे, लेकिन वह यह सपने राजीव के साथ कभी पूरे नहीं कर सकती थी। शादी की पहली रात, जैसे ही राजीव की मां ज्योत को गोद में लेने लगी, तो निशा ने ज्योत को देने से इनकार कर दिया। तब राजीव की मां ने कहा, "बहू, आज तुम्हारी शादी की पहली रात है, इसलिए आज तुम्हें अपना सारा वक्त अपने पति को देना चाहिए, ताकि तुम दोनों का रिश्ता मजबूत हो सके।"
सास की बात सुनकर निशा गुस्से से आग-बबूला हो गई और कठोर शब्दों में बोली, "मां जी, आप अपने काम से काम रखें, तो ही अच्छा होगा। आपको मुझे यह बताने की जरूरत नहीं है कि आज की रात मुझे क्या करना है और क्या नहीं।"
निशा की बात सुनकर उसकी सास डर गई और ज्योत को निशा की गोद में छोड़कर अपने कमरे में चली गई। निशा धीरे-धीरे चलती हुई अपनी बहन के कमरे में आई और ज्योत को बिस्तर के एक तरफ लिटा दिया, जो उसकी गोद में ही सो चुका था। निशा को इस कमरे में अपनी बहन की उपस्थिति महसूस हो रही थी, क्योंकि जिस बिस्तर पर वह बैठी थी, कुछ दिन पहले उसी बिस्तर पर उसकी बहन पूजा सोया करती थी।
निशा अपनी बहन के कमरे को ध्यान से देखने लगी, और आज का यह पल उसके लिए बहुत ही दर्दनाक था। वह गुमसुम सी बैठी अपनी बहन को याद कर रही थी, तभी अचानक कमरे का दरवाजा खुला और उसका पति राजीव अंदर आया। निशा ने राजीव को नफरत भरी नजरों से देखा, और उसका मन किया कि वह अभी के अभी राजीव का चेहरा खराब कर दे। लेकिन वह ऐसा नहीं कर सकती थी।
राजीव निशा के पास आकर बैठ गया, और निशा चुपचाप सिर झुकाए अपनी उंगलियां मरोड़ रही थी। राजीव ने उसकी तरफ देखा और कहा, "मैं जानता हूं, निशा, कि तुम पूजा से बहुत प्यार करती थी। और मैं यह भी जानता हूं कि तुम पूजा की मौत का जिम्मेदार मुझे मानती हो। लेकिन मेरा यकीन करो, निशा, यह सच नहीं है। अगर मैं तुम्हें सच्चाई बता भी दूं, तो भी तुम मेरी बातों पर विश्वास नहीं करोगी।"
"तुम्हें सिर्फ यह पता है कि शादी के बाद पूजा बहुत उदास रहती थी। लेकिन क्या तुमने कभी जानने की कोशिश की कि पूजा उदास क्यों रहती थी? नहीं ना, क्योंकि तुमने तो मान लिया था कि पूजा के उदास रहने की वजह सिर्फ मैं ही था।"
राजीव अपनी बात आगे कहता इससे पहले ही निशा ने गुस्से से उसकी ओर देखा और बोली, "बंद करो अपनी यह बकवास, और मुझे अकेला छोड़ दो। मेरी बहन मर चुकी है, और अब मुझे यह जानने की जरूरत नहीं है कि वह क्यों उदास थी और इसका जिम्मेदार कौन है। हां, सुन लो! मैंने यह शादी सिर्फ और सिर्फ ज्योत के लिए की है। तुम मुझसे ऐसी उम्मीद मत रखना कि मैं तुम्हें पति होने के सारे हक दूंगी या तुम्हारे लिए कुछ करूंगी। अगर तुमने इसी उम्मीद से मुझसे शादी की है, तो अपनी गलतफहमी को दूर कर लो।"
"और हां, गलती से भी मुझे पूजा समझने की कोशिश मत करना, क्योंकि मैं पूजा नहीं, निशा हूं। मैं चुप रहने वालों में से नहीं हूं, बल्कि ईंट का जवाब पत्थर से देने वाली हूं। इसलिए मुझसे दूर ही रहना। इसे मेरी धमकी नहीं, चेतावनी समझना। अगर तुमने मुझे कमजोर समझकर दबाने की कोशिश की, तो मैं तुम्हारा और तुम्हारे परिवार का ऐसा हाल करूंगी कि तुम्हारी आने वाली सात पीढ़ियां याद रखेंगी।"
इतना कहकर निशा ज्योत के पास लेट गई, लेकिन उसे डर लग रहा था कि कहीं राजीव उससे जबरदस्ती अपने पति होने का हक न मांग ले। हालांकि, राजीव ने ऐसा कुछ भी नहीं किया। अगली सुबह जब निशा की आंख खुली, तो राजीव ने उसे नाश्ते पर साथ चलने को कहा, लेकिन निशा ने उठने की जहमत तक नहीं उठाई। वह हर वक्त राजीव को ऐसे ही परेशान करती थी। वह छोटी-छोटी बातों पर राजीव से इतना झगड़ती कि राजीव खुद ही कमरे से बाहर चला जाता, और तब जाकर निशा के दिल को ठंडक मिलती थी।
राजीव से निशा की बिल्कुल भी नहीं बनती थी। खैर, अब तो समय इसी तरह बीतने लगा। राजीव किसी न किसी बहाने से निशा से बात करने की कोशिश करता और उसकी गलतफहमियों को दूर करना चाहता था। जब निशा राजीव की आंखों में अपने लिए प्यार और सम्मान देखती, तो उसकी नजरें खुद-ब-खुद झुक जाती थीं, क्योंकि राजीव एक जवान मर्द था और निशा भी खूबसूरत थी। राजीव चाहता तो निशा से पति होने का हक वसूल सकता था, लेकिन उसने ऐसा कुछ नहीं किया। यही बात निशा को परेशान करती थी कि अगर राजीव बुरा इंसान होता, तो वह जबरदस्ती कर सकता था। लेकिन उसने निशा को कभी उसकी मर्जी के बगैर हाथ तक नहीं लगाया।
राजीव की इसी अच्छाई को देखकर कभी-कभी निशा का दिल भी उसके लिए जोरों से धड़कने लगता था, लेकिन वह अपने जज्बातों पर काबू पा लेती थी, क्योंकि वह अपने मकसद से भटकना नहीं चाहती थी। आज भी राजीव ने निशा से नाश्ते के लिए पूछा, लेकिन निशा ने उसे नाश्ता नहीं दिया। राजीव के जाने के बाद ही वह बिस्तर से उठी।
निशा की शादी को एक महीना बीत चुका था, लेकिन उसने आज तक कमरे की किसी भी चीज को छुआ तक नहीं था। उसका सामान भी सूटकेस में ही पड़ा हुआ था, जिसके कारण उसे कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। आज निशा ने फैसला किया कि वह पूजा के कपड़े निकालकर सूटकेस में पैक कर देगी और अपने कपड़े अलमारी में रख लेगी, ताकि उसे आसानी हो। लेकिन निशा यह नहीं जानती थी कि आज उसकी आंखों के सामने एक ऐसा सच आएगा, जिसे देखकर उसका दिल कांप उठेगा।
निशा पूजा की बिखरी हुई अलमारी को ठीक कर रही थी कि तभी उसे एक कोने में कपड़ों के नीचे एक नीली डायरी दिखाई दी। अचानक उसे याद आया कि यह डायरी शायद पूजा की होगी, क्योंकि पूजा को डायरी लिखने का बहुत शौक था। वह हर रात बैठकर अपने दिन भर के अनुभव अपनी डायरी में लिखती थी। निशा उसकी इस आदत पर हंसती थी, लेकिन पूजा हमेशा कहती थी कि उसे डायरी लिखना बहुत पसंद है।
दोस्त बनाने के मामले में पूजा कभी भी इंसानों पर भरोसा नहीं करती थी। वह अपनी उस डायरी को ही अपना सबसे अच्छा दोस्त मानती थी, क्योंकि पूजा का मानना था कि अगर एक इंसान अपने दोस्त को अपने राज बताता है, तो उसे हमेशा इस बात का डर रहता है कि कहीं उसका दोस्त उसकी यह राज़ की बात किसी और को न बता दे। लेकिन डायरी एक ऐसा दोस्त है जो किसी को कुछ भी नहीं बताती और सारे राज अपने भीतर संभाल कर रखती है। शायद यही वजह थी कि पूजा कभी भी इंसानों को अपना दोस्त नहीं बनाती थी और अपने दिल की बातें सिर्फ अपनी डायरी में ही लिखती थी।
जैसे ही निशा ने वह डायरी खोली, पहले ही पन्ने पर एक बड़ा सा दिल बना हुआ था और उसके अंदर "पूजा" लिखा हुआ था। लेकिन निशा हैरान रह गई जब उसने देखा कि पूजा के नाम के साथ राजीव का नाम नहीं था, बल्कि किसी 'चिराग' का नाम लिखा हुआ था। अपनी बहन के नाम के साथ किसी अजनबी का नाम देखकर निशा को बहुत बड़ा झटका लगा। उसने अपनी आंखों को रगड़ा और लिखावट को ठीक से पहचानने की कोशिश की। निशा ने देखा कि वह लिखावट भी पूजा की ही थी। अब निशा के मन में कई तरह के विचार आने लगे, और अगला पन्ना पलटने के लिए उसके हाथ कांपने लगे थे।
जैसे ही निशा ने अगला पन्ना पलटा और पढ़ना शुरू किया, उसकी आंखें फटी की फटी रह गईं। उस डायरी में एक अजनबी इंसान की तस्वीर थी और उस तस्वीर के नीचे एक प्यार भरी शायरी लिखी हुई थी। जैसे-जैसे निशा डायरी के पन्ने पलटती गई, उसे पता चला कि उन पन्नों में पूजा और चिराग की पहली मुलाकात से लेकर उनके प्यार की पूरी दास्तान लिखी हुई थी। डायरी को पूरा पढ़ते-पढ़ते निशा का गला सूखने लगा और अपनी बहन की सच्चाई जानकर वह पसीने से तरबतर हो गई। उसकी हथेलियां भी गीली हो चुकी थीं। लेकिन आखिरी पन्नों पर जो कुछ लिखा था, उसे पढ़कर उसकी हथेलियों के साथ-साथ उसकी आंखें भी नम हो गईं।
पूजा की डायरी के आखिरी पन्नों पर कुछ इस तरह से लिखा था: "मैं जानती हूं कि अब चिराग मुझे कभी नहीं मिल सकता, क्योंकि उसे लगता है कि मैंने उसका हक राजीव को दे दिया है। लेकिन मैं उसे कैसे समझाऊं कि मैंने आज तक राजीव को हाथ भी नहीं लगाने दिया है। इसके बावजूद, राजीव मुझसे बहुत प्यार करते हैं और मेरा बहुत ख्याल रखते हैं। लेकिन मेरी आंखों पर चिराग के प्यार की पट्टी बंधी हुई थी, और मुझे लगता था कि अगर चिराग मुझे नहीं मिला, तो मैं मर जाऊंगी।"
"इसलिए, मैं राजीव और उनके परिवार से छुपकर चिराग से मिलने जाती थी, ताकि उसे मना सकूं और यह यकीन दिला सकूं कि मैं आज भी सिर्फ उससे ही प्यार करती हूं। लेकिन मुझे यह नहीं पता था कि अपना प्यार साबित करने के लिए मुझे खुद को चिराग के हवाले करना पड़ेगा। और चिराग का भरोसा जीतने के लिए मैंने वह भी किया। लेकिन जब मैं प्रेग्नेंट हुई, तो चिराग ने मुझे यह कहकर छोड़ दिया कि मैंने उसे धोखा दिया है, और यह बच्चा राजीव का है। जबकि मैं अच्छी तरह से जानती थी कि बच्चा राजीव का नहीं, बल्कि चिराग का है।"
"राजीव तो आज भी मेरे प्यार को पाने के लिए मेरा इंतजार कर रहे हैं, लेकिन मैंने आज तक उन्हें खुद को छूने तक नहीं दिया। फिर एक दिन, जब राजीव को मेरी प्रेग्नेंसी के बारे में पता चला, तो उन्होंने मुझसे मेरे बच्चे को लेकर सवाल करने शुरू किए। वह जानते थे कि यह बच्चा उनका नहीं है। आज राजीव ने मुझ पर फिर से हाथ उठाया। इससे पहले भी उन्होंने तब हाथ उठाया था, जब उन्होंने मुझे चिराग के साथ देख लिया था। लेकिन मेरे माफी मांगने पर उन्होंने मुझे माफ कर दिया और मुझे उनके साथ रहने का एक और मौका भी दिया था।"
"आज जब मम्मी-पापा आ गए, तो मैं राजीव के सवालों से बच गई थी। लेकिन मम्मी-पापा के जाने के बाद मैंने राजीव को सारी सच्चाई बता दी। मुझे लगा था कि अब राजीव मुझे तलाक देकर हमेशा के लिए छोड़ देंगे, और मेरे पापा की इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी। लेकिन राजीव ने ऐसा कुछ नहीं किया। बल्कि, वह तो मेरी प्रेग्नेंसी में मेरा और भी ज्यादा ख्याल रखने लगे।"
"मगर राजीव ने ऐसा क्यों किया, यह मुझे मेरे बेटे की पैदाइश के बाद ही समझ में आया।"
जिस दिन मेरे पापा ने राजीव से मुझे मारने की वजह पूछी थी, उस वक्त राजीव ने उन्हें कुछ नहीं बताया, लेकिन बाद में अकेले में सारी सच्चाई बता दी थी। इसके बाद मेरे पापा ने राजीव के आगे अपने हाथ-पैर जोड़ लिए और उनसे अपनी इज्जत को मिट्टी में मिलने से बचाने की भीख मांगी। राजीव खुद भी एक इज्जतदार खानदान से थे और उन्हें इस बात का एहसास था कि एक बार अगर इज्जत चली गई, तो फिर कभी वापस नहीं आती। इससे पहले कि मेरे पापा अपना सिर राजीव के कदमों में रख देते, राजीव ने उनके जुड़े हुए हाथों को पकड़ लिया और वादा किया कि वह कभी भी किसी को यह बात नहीं बताएंगे कि वह बच्चा उनका नहीं है। राजीव ने अपना वादा इतनी शिद्दत से निभाया कि उन्होंने अपनी मां को भी यह नहीं बताया कि वह बच्चा उनका नहीं है।
इसलिए, जब मेरा बेटा पैदा हुआ, तो राजीव की मां खुशी से झूम उठीं और पूरे अस्पताल में मिठाइयां बांटने लगीं, क्योंकि उन्हें लगा कि मैंने उनके पोते को जन्म दिया है। जैसे-जैसे निशा डायरी पढ़ती जा रही थी, उसकी आंखों से आंसू बहकर उसके पूरे चेहरे को भिगो रहे थे। निशा को आज एहसास हो गया था कि उसने राजीव के बारे में कितना गलत सोचा था, जबकि सारी गलती उसकी बहन पूजा की थी। लेकिन फिर आखिरी पन्ने पर जो कुछ लिखा था, उसे पढ़कर निशा का दिमाग सुन्न हो गया।
पूजा के आखिरी शब्द कुछ यूं थे: "जो कुछ भी मैंने राजीव जी के साथ किया, उसके बावजूद उनका इतना अच्छा व्यवहार देखकर, मुझे भी राजीव जी से प्यार हो गया है। लेकिन मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं किस मुंह से अपने इस प्यार का इज़हार करूं, क्योंकि मुझमें उनका सामना करने की हिम्मत ही नहीं है। मेरा बेटा एक साल का होने को आया है, लेकिन राजीव जी ने आज तक मुझसे अपने पति होने का हक नहीं मांगा। लेकिन अब मैं राजीव जी को उनके सारे हक देकर, उनके साथ जिंदगी की नई शुरुआत करना चाहती हूं। इसलिए मैंने यह फैसला किया है कि कल मैं राजीव जी से अपनी सारी गलतियों के लिए माफी मांग लूंगी और उन्हें अपने दिल का हाल भी बता दूंगी। और यह सब मैं उन्हें एक सरप्राइज के साथ बताऊंगी, जिसके लिए मैं खुद जाकर डेकोरेशन का सामान खरीदूंगी और अपने कमरे को बिल्कुल वैसे ही सजाऊंगी, जैसे सुहागरात का कमरा सजाया जाता है। कल मेरे और राजीव जी के जीवन की एक नई शुरुआत होगी। बस भगवान से यही प्रार्थना है कि राजीव जी मुझे माफ कर दें।"
पूजा की डायरी पढ़ते हुए, निशा इतनी खो गई थी कि उसे ज्योत के रोने की आवाज भी नहीं सुनाई दी। उसी वक्त ज्योत के रोने की आवाज सुनकर राजीव दौड़ता हुआ कमरे में आया और आते ही उसने ज्योत को अपने सीने से लगा लिया। फिर, निशा पर चिल्लाते हुए कहने लगा, "निशा, तुम्हारा ध्यान कहां है? ज्योत इतनी जोर से रो रहा है, लेकिन तुम ऐसे खड़ी हो जैसे तुम्हारे कानों तक उसकी आवाज ही ना पहुंची हो।"
राजीव के चिल्लाने पर निशा कुछ होश में आई, और उसके हाथों से डायरी छूटकर जमीन पर गिर गई। निशा ने देखा कि डायरी देखकर राजीव की आंखें भी नम हो गई थीं। ऐसा लग रहा था जैसे राजीव ने भी उस डायरी को पढ़ लिया है। निशा ने डायरी उठाकर वापस अलमारी में रख दी और धीरे-धीरे कदम बढ़ाते हुए राजीव की ओर चली, लेकिन उसे ऐसा लग रहा था कि उसके लिए एक कदम भी चलना मुश्किल हो रहा है। अब उसे वो बात याद आने लगी जब राजीव ने कहा था, "अगर मैं तुम्हें सच बता भी दूंगा, तो तुम मुझ पर भरोसा नहीं करोगी।" शायद राजीव उसे यही सच्चाई बताना चाहते थे, लेकिन निशा ने उन्हें बोलने का मौका ही नहीं दिया था।
निशा, राजीव से बहुत कुछ कहना चाहती थी और अपने किए की माफी भी मांगना चाहती थी, लेकिन आज निशा कुछ बोल ही नहीं पाई और अचानक फूट-फूट कर रोने लगी। रोते-रोते वह राजीव के पैरों में बैठ गई। राजीव ने निशा को अपने बाजुओं से थामकर उठाया और कहा, "निशा, यह तुम क्या कर रही हो? तुम्हें इस तरह शर्मिंदा होने की जरूरत नहीं है। वैसे देखा जाए, तो कुछ हद तक तुम ठीक ही कह रही थीं कि पूजा की मौत के लिए मैं भी जिम्मेदार हूं। अगर मैंने पहले ही पूजा को माफ कर दिया होता, तो शायद वह उस दिन डेकोरेशन का सामान लेने जाती ही नहीं और ना ही उसका एक्सीडेंट होता।"
राजीव की बात सुनकर निशा बोली, "राजीव जी, आप किस मिट्टी के बने हैं? पहले तो आपने मेरे पापा की इज्जत बचाने के लिए मेरी दीदी की इतनी बड़ी गलती को माफ कर दिया, और उसके बच्चे को अपना नाम भी दे दिया। अब आप खुद को उसकी मौत के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं? मुझे तो समझ ही नहीं आ रहा है कि मैं अपनी दीदी को किस्मत वाली कहूं या बदकिस्मत, जिसने आप जैसे देवता इंसान को पाकर भी खो दिया।"
यह कहते हुए निशा जोर-जोर से रोने लगी। उसकी हिचकियां आने लगीं, तब राजीव ने साइड टेबल से पानी का गिलास उठाकर उसे दिया और ज्योत को बिस्तर पर लिटा दिया। फिर, निशा को अपने सीने से लगा लिया। निशा ने एक नजर ज्योत की ओर देखा, और उससे पहले कि वह राजीव से कोई सवाल पूछती, राजीव ने कहा, "मुझे पता है, निशा, कि तुम मुझसे क्या पूछना चाहती हो। लेकिन मेरा एक ही जवाब है — जो कुछ भी हुआ, उसमें इस नन्ही सी जान का क्या कसूर है? और फिर मैंने तुम्हारे पापा से वादा किया है कि मैं ज्योत को न सिर्फ अपना नाम दूंगा, बल्कि वह प्यार भी दूंगा, जो एक बच्चे को अपने पिता से मिलता है।"
निशा ने फिर से रोते हुए अपनी और अपनी बहन की गलतियों के लिए माफी मांगी, और राजीव ने भी उसके आंसुओं को अपने हाथों से पोंछा। फिर कहा, "निशा, दरअसल ज्योत इसलिए रो रहा है क्योंकि उसे अपने साथ खेलने के लिए एक छोटा भाई या बहन चाहिए। इसलिए, अब बिना किसी देरी के हमें ज्योत की इस जरूरत को पूरा करना होगा। वरना, ऐसा न हो कि हमारा बेटा बदला लेने के चक्कर में हमें प्यार करने का मौका ही ना दे।" यह सुनते ही राजीव की आंखों में शरारत झलक आई, और निशा ने भी शर्म से अपना चेहरा राजीव के सीने में छुपा लिया।
आज, राजीव ने पूरे सम्मान और गरिमा के साथ निशा को अपनी बाहों में भर लिया और उसे अपनी पत्नी होने का हक दे दिया, जिसकी वह हकदार थी। निशा ने भी राजीव के प्यार को सच्चे दिल से स्वीकार किया और उनके वादे का मान रखते हुए जिंदगी भर ज्योत को मां से भी बढ़कर प्यार दिया।
आज निशा और राजीव की शादी को पांच साल पूरे हो चुके हैं, और इन पांच सालों में निशा ने एक प्यारी सी बेटी को जन्म दिया। आज निशा अपने बेटे, बेटी और राजीव के साथ एक खुशहाल जीवन जी रही है। लेकिन पूजा की किस्मत में शायद यह खुशियां लिखी ही नहीं थीं।
जय श्री राम दोस्तों! उम्मीद करती हूं कि आपको हमारी कहानी पसंद आई होगी।